वर्तमान में संचार उद्योग सबसे तेजी से फ़ैलाने वाला उद्योग है और लगभग पूरी तरह इन्टरनेट, सर्वर, डाटा कलेक्शन सेन्टर और डिजिटल डाटा पर आधारित हो गया है. कुछ वर्ष पहले तक कहा जाता था कि डिजिटल दुनिया में ऊर्जा की खपत लगभग 20 प्रतिशत तक कम हो जायेगी, पर अब नए अध्ययन के अनुसार डिजिटल दुनिया में ऊर्जा की खपत लगातार बढ़ रही है. अनुमान है कि वर्ष 2025 तक दुनिया में कुल ऊर्जा की खपत में से 20 प्रतिशत से अधिक संचार उद्योग में ही होगा. ऊर्जा की बढ़ती खपत से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का अधिक उत्सर्जन तय है, जिससे पृथ्वी का तापमान और बढेगा. स्मार्टफोन, टैबलेट और दूसरे अरबों उपकरण जो इन्टरनेट पर आधारित हैं, से उत्पन्न डिजिटल डेटा के संग्रहण के लिए जो सर्वर फार्म्स हैं उनमें ऊर्जा की बेतहाशा खपत होती है.

स्वीडन के वैज्ञानिक एंडर्स आन्द्रे के अनुसार सबकुछ ऐसे ही चलता रहा तो वर्ष 2020 तक दुनिया में कुल कार्बन उत्सर्जन में से 3.5 प्रतिशत के लिए अकेले संचार उद्योग जिम्मेदार होगा. ध्यान रहे, कि कार्बन की यह मात्रा जलपोतों और वायुयान उद्योग से भी अधिक होगी. वर्ष 2040 तक कार्बन उत्सर्जन 14 प्रतिशत तक पहुँच जाने की संभावना है, यदि ऐसा हो गया तब कार्बन उत्सर्जन की यह मात्रा पूरे अमेरिका, चीन या भारत से भी अधिक होगी. वर्तमान में सर्वाधिक कार्बन उत्सर्जन में पहले तीन स्थानों पर यही देश हैं.

विश्व में स्मार्ट टीवी, सुरक्षा कैमरा, ई-मेल, डिजिटल विडियो, आटोमेटिक कार, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और रोबोट्स का उपयोग बढ़ता जा रहा है, जिससे कंप्यूटिंग क्षमता 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. कंप्यूटिंग क्षमता बढ़ने से डाटा संग्रहण क्षमता भी बढ़ रही है, जिससे ऊर्जा की खपत बढ़ती जा रही है. विश्व में संचार उद्योग वर्ष 2015 तक कुल बिजली की खपत में से लगभग 5 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार था. वर्तमान में यह उद्योग प्रतिवर्ष 200 से 300 टेरावाट घंटे बिजली की खपत करता है, जबकि वर्ष 2025 तक इसमें 1200 से 3000 टेरावाट बिजली की खपत होगी. इस बिजली की खपत से लगभग 1.9 गीगाटन कार्बन का उत्सर्जन होने लगेगा.

अमेरिका के वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार वहाँ संचार उद्योग में अगले पांच वर्षों में बिजली की खपत तीन गुना बढ़ जायेगी. राष्ट्रपति ट्रम्प के बाद कोयला आधारित ताप बिजली घर वहाँ स्थापित किये जा रहे हैं, जाहिर है वायुमंडल में और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होगा. इन्टरनेट अध्ययन पर आधारित कंपनी गार्टनर के अनुसार 2017 में विश्व में 8.4 अरब उपकरण इन्टरनेट से जुड़े हैं जबकि वर्ष 2020 तक इनकी संख्या 20.4 अरब तक पहुँच जायेगी. सिस्को विजुअल नेटवर्किंग इंडेक्स के अनुसार अगले पांच वर्षों के दौरान विश्व में इन्टरनेट ट्रैफिक में तीन गुना बृद्धि हो जायेगी. इसी तरह वर्ष 2015 में कुल 3 अरब लोग इन्टरनेट का उपयोग करते थे पर वर्ष 2020 तक 4.1 अरब लोग इसका उपयोग करने लगेंगे. वर्ष 2015 में इन्टरनेट नेटवर्क का उपयोग 16.3 अरब उपकरण कर रहे थे, जबकि अगले पांच वर्षीं में इसमें 10 अरब नए उपकरण और जुड़ जायेंगे.

स्पष्ट है कि, वैज्ञानिकों के अनुमान के विपरीत संचार उद्योग में बिजली की अत्यधिक खपत हो रही है और निकट भविष्य में इसके और बढ़ने का अनुमान है. बिजली की खपत से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है और विश्व का तापमान बढ़ रहा है. राहत की बात यह है कि गूगल, फेसबुक, एप्पल, इंटेल और अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियां अब गैर- परमपरागत ऊर्जा स्त्रोतों की तरफ ध्यान दे रहे हैं. पर, यह प्रयास अभी कोई असर नहीं दिखा रहा है. ग्रीनपीस के अनुसार अब तक कुल बिजली की खपत में से केवल 20 प्रतिशत गैर परम्परागत स्त्रोतों के लिए योजना बनाई गयी है.