समूचे देश में पूंजी के क्षेत्र में छल, कपट और धोखाधड़ी के समाचार ही आ रहे हैं . बैंकों के घोटाले और कई उद्योगपतियों के देश को छोड़ कर भाग जाना काफी नहीं था.इनसे सबसे ऊपर एक और घोटाला सामने आया है और यह है इन्फ्रास्त्रुक्चर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसेज ( आई एल ऍफ़ एस) का है जिसमें बहुत बड़ी संख्या में मैनेजर और अधिकारी फंसते हुए नज़र आ रहे हैं.

ऐसे समय में जाना माना निवेशक संगठन, मिडास टच इन्वेस्टर्ज़ एसोसिएशन भी इस मसले में कूद गया है और उसने वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस घोटालों की जाँच सी बी आई से करवाने की मांग की है.

मिडास के अध्यक्ष वीरेंन्द्र जैन के अनुसार, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस , ( एस ऍफ़ आई ओ) द्वारा की जा रही जांच समूचे फ्रॉड की छान बीन न कर सकेगी . वह इसलिए कि आई एल अफ एस एक वृहद, व्यवस्था की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण ,पैसा न जमा करने वाली मूल निवेश कंपनी है जिसका नियमन रिज़र्वे बैंक और अन्य नियामक करते हैं .

लेकिन “ ......एस एफ आई ओ का दायरा सीमित है और वर्तमान परिस्तिथियों में जहाँ अन्य प्रशासनिक क्षेत्रों में जांच और छानबीन की ज़रुरत है उसे यह संगठन पूरा नहीं कर सकता है . यह उसकी परिधि के बाहर है. इसलिए वर्तमान में यही उचित होगा कि सी बी आई द्वारा इसकी जांच और छान बीन हो . एस ऍफ़ आई ओ द्वारा जारी जांच इसके पूरक का काम करेगी .

मिडास ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में यह कहा है कि “ इस समूह की समस्त 348 कंपनियों की गहनन्यायिक दृष्टिकोण से जांच होनी चाहिये और इसके निर्देशक मंडल, लेखा परीक्षक,ऋण पात्रता निर्धारण संस्थान, इसके ऋण पत्र के ग्राहको और इसके सभी नियामकों को अपने कर्तव्य के विपरीत आचरण करने की जिम्मेवारी को निर्धारित कर, इनके मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, मेनेजर ,जिम्मेवार कर्मचारियों और उन सबको जिनहें इससे लाभ हुआ है , से घोटाले के पैसों की वसूली करना और चोरी से एकत्रित की गयी दौलत को जब्त करने की मांग की है .

मिडास ने अपने पत्र में निम्न मांगे उठायी हैं:

1. सी बी आई द्वारा आई एल एंड ऍफ़ एस , इसकी 348 सहायक , सहयोगी और संयुक्त उद्यमों से सम्बम्न्धित सभी प्रश्नों पर पूछ ताछ और जांच करने के आदेश दे;

2. कर्त्तव्य से विमुखता के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी ,निर्देशक मंडल,लेखा परीक्षक, ऋण पात्रता निर्धारक संस्थान, ऋण पत्र के ग्राहक, और सभी नियामकों की जिम्मेवारी को निर्धारित करना;

3. समस्त 348 इकाइयों का नगदी अंतरण और नागदी बहिर्गमन का विवरण. इस कार्य को स्वतंत्र लेखा परीक्षकों द्वारा कराया जा सकता है. इससे खामियों को चिन्हित किया जा सकेगा .

4. अपराध परीक्षण के द्वारा आई एल एंड ऍफ़ एस और उसकी 348 प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष ,सहायक और सम्बद्ध , कंपनियों से पैसे किन रास्तो से बाहर गये और कितना पैसा गैर कानूनी तरीके से निकला गया और वह किस किस के पास है, , वह चाहे जिस मर्जी रास्ते से गया हो, उसका निर्धारण करना .

5. इसी प्रकार से इन कंपनियों के निर्देशकों, मुख्य कार्यकरी अधिकारियों, उनके नातेदारों, मैनैजेरो , प्रमुख कर्मचारियों इत्यादि को इस पैसे में से कितना पैसा मिला और ये संपतियां किस प्रकार से इनके पास पहुँची .

6. यह समस्त राशि, संपतियां ,और धोखाधड़ी से प्राप्त के गई सभी दौलत को तुरन्तबरामद कर के जब्त करे और उसे कंपनी को वापस बहाल कर दे

7. प्रबंधन के प्रमुख व्यक्तियों के पासपोर्ट को तुरंत जब्त करना ज़रूरी है. इनकी संख्या अब 50से 75 के मध्य है और उनकी समस्त आय का व्यौरा उनसे हलफ नामे के द्वारा लिया जा सकता है, जिनमें दी हुई सम्पतियों को बिना अदालत की अनुमति के बेचा नहीं जा सकता है