त्रिपुरा का आतंक : भीड़ ने घर में घुसकर की महिला छात्र नेता की पिटाई
एसएफआई की अध्यक्ष और उनके परिजनों से मारपीट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े गुंडों की एक भीड़ 4 जून, 2018 की शाम स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई) की त्रिपुरा इकाई की प्रदेश अध्यक्ष नीलांजना रॉय के घर में घुसी और उनके साथ मारपीट की. आल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्स एसोसिएशन (एआईडीडब्लूए) द्वारा प्रेस को जारी एक बयान के मुताबिक सुश्री रॉय के परिजनों के साथ भी मारपीट की गयी.
द सिटिज़न के साथ बातचीत में सुश्री रॉय ने कहा, “ करीब 70 - 80 महिलाएं बाहर इंतजार कर रही थीं और मैंने भांप लिया कि कुछ गड़बड़ है. वे मुझे ढूढ़ रही थीं और ‘नीलांजना को बाहर निकालो’ चिल्ला रही थीं.”
पेश है बातचीत का संपादित अंश :
आपके साथ जो कुछ हुआ उसके बारे में आप विस्तार से बताएं?
शाम करीब साढ़े सात बजे का समय था, 4 से 5 महिलाएं मुझे ढूढ़ती हुई मेरे घर आईं. उन्हें मालूम नहीं था कि मैं ही नीलांजना हूं, इसलिए मैंने अपनी बहन को नीलांजना के तौर पर आने को कहा. वे मेरी बहन पर झपट पड़ीं और उसे मारना शुरू कर दिया. तब मैंने हस्तक्षेप किया और उन्हें बताया कि मैं नीलांजना हूं. उनमें से एक महिला ने मुझे पहचान लिया.
इस बीच, वहां करीब 200 महिलाएं और 2 – 3 पुरुष जुट चुके थे. मुझे पता नहीं कि उनके हाथों में क्या था, शायद बांस, सीसा या लकड़ी. उन्होंने मुझ पर प्रहार करना शुरू कर दिया. यह सब करीब आठ घंटों तक चलता रहा. उसके बाद वे लौट गये.
उनके लौट जाने के बाद क्या हुआ?
मेरे इर्द – गिर्द के सभी लोगों ने मुझे अस्पताल जाने की सलाह दी. मेरे बड़े भाई कार लेकर आये और उसमें सवार होकर हमदोनों अस्पताल की ओर निकल गये. जब हम विद्यासागर मार्किट पहुंचे, तो 4 – 5 महिलाओं के साथ 50 – 60 पुरुषों ने हमारी कार रुकवाई. उन्होंने हमें मार देने या हमारी कार को आग के हवाले करने की धमकी देते हुए हमें कार से उतरने को कहा. जब हम कार से उतरकर बाहर आये, तो उन्होंने हमदोनों पर हमला कर दिया. मेरे भाई को सिर में चोटें आयीं. जब वे बहुत ज्यादा हिंसक होने लगे, तो कुछ दुकानदार मुझे बचाकर एक सुरक्षित जगह पर ले गये. उसके बाद स्थिति बहुत बिगड़ गयी और वहां करीब 600 लोगों की भीड़ जुट गई. तब उन्होंने मुझे घर – घर जाकर खोजना शुरू कर दिया. इस बीच पुलिस पहुंच गयी.
पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में कामयाब हुई?
नहीं, उन गुंडों ने पुलिस पर भी हमला कर दिया. यहां तक कि उन्होंने मेरे भाई की कार को भी तहस - नहस कर दिया. इतना होने के बाद, उन्होंने भाजपा के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी.
कौन थे “वो लोग”?
भाजपाई कार्यकर्ता. जो महिलाएं मेरे घर आयीं थीं, वो भाजपा की महिला कार्यकर्ता थीं. विद्यासागर मार्किट पर जुटी भीड़ में से कई लोगों को मैं पहचानती हूं. वे भाजपा की ओर से धरना – प्रदर्शनों में शामिल होते हैं. वे सभी भाजपा के कार्यकर्ता हैं. भीड़ में भाजपा के 33 बूथों के अध्यक्ष शामिल थे. वहां भाजपा का एक महासचिव भी था.
आपके अनुसार, यह घटना क्यों हुई? इस हमले की पृष्ठभूमि में क्या है?
वे छात्र – कार्यकर्ताओं के खिलाफ हैं. वे चाहते हैं कि सभी संगठन अपनी गतिविधियां बंद कर दें. एसएफआई साल के 365 दिन उन मुद्दों पर सक्रिय रहता है, जो इन्हें रास नहीं आता. ये लोग गुंडे हैं, जो सिर्फ नारेबाजी करते हैं. वे महिलाओं पर हमला करते हैं और उनपर वर्चस्व बनाने में यकीन रखते हैं. एक ओर तो वे “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” का नारा बुलंद करते हैं और दूसरी तरफ एक महिला छात्र नेता का सामना करने से घबराते हैं.
क्या आपको लगता है कि इस हमले के पीछे कोई उकसाने वाला कारक था? क्या पिछले कुछ हफ्तों में ऐसा कुछ हुआ जो उकसाने वाला कारक हो सकता था?
ऐसा तो कुछ भी नहीं था. मुझे नहीं लगता कि हाल में मैंने ऐसा कुछ किया जो इस हमले की वजह बने.