कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों समेत चार सैन्यकर्मियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर 30 जुलाई को प्रकाशित नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में अपना नाम छूट जाने की शिकायत की है. सेवानिवृत्त इन सैन्यकर्मियों ने कहा कि नागरिकों की सूची में से अपना नाम हटाये जाने से वे बेहद आहत हैं.

एनआरसी के अंतिम मसौदे में कुल 40 लाख लोगों के नाम छोड़े गये हैं. कई भारतीय नागरिकों के नाम सूची में छूट जाने की वजह से एनआरसी के अधिकारियों को ऐसी त्रुटियों के लिए जबरदस्त आलोचना झेलनी पड़ रही है.

साल 2016 में जूनियर कमीशंड अफसर के पद से सेवानिवृत्त हुए 50 वर्षीय अजमल हक ने द सिटिज़न को बताया, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह कोई मजाक नहीं है. मुझे लगाता है कि अधिकारियों ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया है. वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम क्यों छोड़े गये? हम इसकी वजह जानना चाहते हैं. सबसे बड़ी बात कि हमारे नाम हटा दिये गये. 30 सालों तक देश की सेवा करने के बाद क्या हम इसी लायक हैं? हमलोगों ने बहुत भारी मन से राष्ट्रपति जी को पत्र लिखा है.” उन्होंने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि एनआरसी का अंतिम मसौदा देखने के बाद हमारे जेहन में उठे गंभीर सवालों एवं आशंकाओं के बारे में एक विनम्र निवेदन है.

इन सैन्यकर्मियों ने अपना ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को भी भेजा है. अपनी चिट्ठी में उन्होंने राष्ट्रपति से सभी सैन्यकर्मियों - पूर्व एवं वर्तमान में कार्यरत - के लिए एक अलग श्रेणी बनाने का अनुरोध किया.

श्री हक के बेटे और बेटी का भी नाम नागरिकता सूची से गायब है. और तो और, पिछले साल उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का नोटिस भी दिया गया था. हालांकि, पुलिस ने बाद में इसे “पहचान में गलती” का मामला करार दिया.

इसके अलावा, शम्सुल हक (57) और सादुल्लाह अहमद (49) के नाम भी नागरिकता सूची में नहीं हैं. ये दोनों कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना में सेवारत थे. यही नहीं, सेवानिवृत कैप्टेन सना उल्लाह, पूर्व सार्जेन्ट सादुल्लाह अहमद और भारतीय सेना में फिलहाल कार्यरत सिपाही इनामुल हक के साथ भी ऐसा हुआ. इनके नाम भी नागरिकता सूची से हटा दिये गये हैं.