संभवतः ‘निर्णय में चूक’ ने कश्मीर के कोलाहाई ग्लेशियर की चढ़ाई करने वाले दो युवा पर्वतारोहियों की जान ले ली. ख़राब मौसम की वजह से दो दिनों तक तलाशी अभियान बाधित रहने के बाद बचाव दल ने कल उन दोनों पर्वतारोहियों का शव ढूढ़ निकाला.

जम्मू एवं कश्मीर सरकार में टैक्स अफसर के पद पर कार्यरत नवीद जिलानी और इस पर्वतारोहण अभियान का आयोजन करने वाले अल्पाइन समूह के कर्मचारी आदिल शाह शुक्रवार को ग्लेशियर में खिसकते चट्टानों की चपेट में आ गये और उनकी मौत हो गई.

हज़ीक नाम के एक अन्य पर्वतारोही की पसलियों की हड्डियां टूट गयीं और उसे सेना के हेलीकाप्टर से श्रीनगर के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालात स्थिर बतायी जाती है.

ये तीनों उस नौ – सदस्यीय पर्वतारोहण अभियान दल के सदस्य थे, जिसने दो समूहों में बंटकर गुरुवार को कोलाहाई ग्लेशियर की चढ़ाई की थी लेकिन वापसी में ख़बर मौसम की वजह से आ रही बाधा को देखते हुए रात ग्लेशियर में ही गुजारने का फैसला किया था.

बचाव दल के एक सदस्य और पर्वतारोही रियाज़ अहमद लोन ने बताया कि अभियान दल के सदस्यों ने जानकारी दी कि शुक्रवार की दोपहर जब आसमान साफ़ होने लगा तो अभियान दल ने नीचे उतरने का फैसला किया.

रियाज़ ने बताया कि शुक्रवार की दोपहर को नीचे उतरने के दौरान चार – सदस्यीय समूह को खिसकती चट्टानों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया, “खिसकते चट्टानों का पहला शिकार नवीद हुआ. चट्टान उसके सिर पर गिरे. फिर आदिल चट्टानों के धक्के से एक खाई में जा गिरा.”

अभियान दल के बाकी बचे सदस्यों ने बाद में हादसे की सूचना फ़ोन के जरिए आधार - शिविर को दी. सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और वायुसेना, राज्य पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के सदस्यों को मिलाकर एक उच्च – स्तरीय बचाव अभियान शुरू किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि ग्लेशियर में शुक्रवार से हो रही लगातार बारिश और बर्फबारी की वजह से स्थानीय वालंटियरों, गुलमर्ग स्थित जवाहरलाल पर्वतारोहण संस्थान के पेशेवरों और जिला प्रशासन के सदस्यों से लैस बचाव टीम का मृतकों के शवों तक पहुंचना मुश्किल हो गया था. घायल पर्वतारोही को जहां बचा लिया गया, वहीँ अभियान दल के अन्य सदस्य कल अरु स्थित आधार – शिविर पहुंचे. वालंटियरों की एक टीम मृतकों के शवों को खोजने और उन्हें वापस लाने के लिए बीती रात ग्लेशियर की ओर निकली थी.

अधिकारियों ने बताया कि ख़राब मौसम के बावजूद मृतकों के शवों को खोज लिया गया और उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया.

रियाज़, जो एक उत्साही पर्वतारोही हैं, ने द सिटिज़न को बताया, “मृतकों के शवों को देखकर ऐसा लगा रहा था मानो पर्वतारोहण की बेहतरीन पोशाक से लैस वे प्रकृति की आगोश में शांति से लेटे हों. प्रकृति को वे इस कदर भा गये कि उसने इनके प्राण ले लिए.”

गुलमर्ग स्थित संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक अभियान दल का ऐसे समय, जब शुक्रवार को धूप निकल चुकी थी और तापमान बढ़ने लगा था, वापस उतरने का फैसला दरअसल “निर्णय में चूक” का एक मामला साबित हुआ.

अधिकारियों ने बताया कि कोलाहाई ग्लेशियर, जो दक्षिण कश्मीर में बहने वाली वाली प्राचीन नदियों का स्रोत है, अपने एक तरफ गुरुत्वाकर्षण-विरोधी ढलानों की वजह से बर्फ को नहीं जकड़े रख पाता है. जब तापमान बढ़ता है, तो ढलान पर पड़े चट्टान ढीले पड़ने लगते हैं जिसके परिणामस्वरुप वो खिसकने लगते हैं.

एक अधिकारी ने कहा, “इस किस्म के पर्वतारोहण के दौरान आप आम तौर पर रात में चढ़ाई करते हैं और अंधेरा और ठंडक बाकी रहते ही नीचे उतर आते हैं. वे लोग गुरुवार और शुक्रवार को ग्लेशियर में फंसे रह गये थे और शायद निर्णय में चूक करने की वजह से उन्होंने उस समय नीचे की ओर बढ़ने का फैसला कर लिया, जो आम तौर पर खतरनाक माना जाता है.”