लश्कर – ए – तोइबा का एक 15 वर्षीय आतंकवादी कल श्रीनगर में सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराया गया. तीन महीने पहले अपने घर से क्रिकेट खेलने निकला यह किशोर ताबूत में बंद होकर आखिरी बार अपने घर वापस लौटा.

मुदासिर रशीद पर्रे की मां फरीदा बेगम ने बताया, “जब वह घर वापस नहीं लौटा, तो हमने सहायता के लिए पुलिस से संपर्क किया. कई सप्ताह तक उसकी कोई ख़बर नहीं मिली. फिर फेसबुक पर एक तस्वीर में वह बंदूक लटकाये और छूरा थामे दिखा. हमने उससे घर लौट आने की अपील की थी, लेकिन इस तरह लौटने की नहीं.”

पर्रे पिछले 31 अगस्त से लापता था. वह सुरक्षा बलों के हाथो मारे जाने वाले कम उम्र के आतंकवादियों में से एक बना. वह आखिरी बार अपने दोस्त साकिब बिलाल शेख के साथ देखा गया था. श्रीनगर के बाहरी इलाके में मुज्गुंड में कल हुए मुठभेड़ में साकिब भी मारा गया.

पुलिस ने बताया कि वे दोनों लड़के उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के हाजिन के रहने वाले थे और लश्कर – ए – तोइबा में शामिल हो गये थे. मुठभेड़ में मारे गये तीसरे आतंकवादी की पहचान अली भाई के रूप में हुई है और उसे विदेशी माना जा रहा है.

इस 15 – वर्षीय आतंकवादी के मारे जाने की सोशल मीडिया पर घनघोर भर्त्सना हुई. लोगों ने इतने कम उम्र के बच्चों को अपने यहां जगह देने के लिए आतंकवादी संगठनों की भी पुरजोर आलोचना की. अलगाववादियों ने कश्मीरियों को बंदूक थामने को मजबूर करने के लिए “नयी दिल्ली की कठोर नीतियों” को कसूरवार ठहराया.

अमेरिका में रहने वाले एक बुद्धिजीवी, अतहर जिया, ने कहा, “ यह एक कश्मीरी किशोर द्वारा इस तरह से अपने बचपन को त्यागने से कहीं ज्यादा सवाल उसके जीवन का है और इसे हमें इसी तरह से स्वीकार करना चाहिए .... हम चुपचाप बैठकर कैसे लड़ाकों एवं गैर - लड़ाकों के मारे जाने और संपत्तियों को नष्ट किये जाने की खबरों को यूं ही सुनते रहेंगे.”

वर्ष 1949 के जिनेवा कन्वेंशन के अतिरिक्त प्रोटोकॉल, कन्वेंशन ऑन द राइट्स ऑफ़ द चाइल्ड (1989) और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (2002) के रोम संविधान, सबने सशस्त्र संघर्ष के दौरान सभी राजकीय सशस्त्र बलों और गैर-राजकीय सशस्त्र समूहों को बच्चों का इस्तेमाल करने से मना किया है.

इस साल की शुरुआत में हाजिन इलाके में एक युवक की गला रेतकर हत्या, जिसका दोष पाकिस्तान के प्रतिबंधित संगठनों पर मढ़ा गया, समेत कई निर्दोष नागरिकों को मारकर लश्कर ने उत्तरी कश्मीर में दहशतगर्दी के मानचित्र पर अपना दबदबा बनाया है.

हाल में इस संगठन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. खासकर बीते माह दक्षिणी कश्मीर इलाके के इसके कई शीर्ष कमांडर मुठभेड़ में मारे गये हैं. एक आधिकारिक आकलन के मुताबिक, इस साल कश्मीर में 220 से अधिक आतंकवादी मारे गये हैं जबकि 240 अन्य अभी भी सक्रिय हैं.