एक नवजात शिशु की कथित रूप से ‘जलने से हुई मौत’ के आरोप के बाद राज्य सरकार द्वारा संचालित कश्मीर घाटी के एकमात्र शिशुरोग अस्पताल में जांच आदेश दे दिये गये हैं. उपरोक्त अस्पताल अक्सर गलत वजहों से सुर्ख़ियों में बना रहता है.

जम्मू – कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के जी. बी. पन्त अस्पताल प्रशासन ने एक परिवार के इस आरोप पर जांच के आदेश दिये हैं कि उनके नवजात शिशु, जिसे एक निजी अस्पताल द्वारा इस राज्य संचालित अस्पताल में भेजा गया था, की मौत ‘जलने’ की वजह से हुई.

अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, नवजात बच्ची को 1 फरवरी को ‘प्नयूमोथोराक्स’ और ‘सेप्सिस’ की समस्या की वजह से एनआईसीयू विभाग में भर्ती किया गया था. प्नयूमोथोराक्स, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें फेफड़ों की गुहा में हवा एकत्र हो जाती है.

अस्पताल के एक डॉक्टर, जो मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं, ने बताया, “इलाज के दौरान रोगी के इंट्रावस्कुलर कोएगुलेशन में सदमा लगा, जोकि एक जानलेवा बीमारी होती है और 3 फरवरी को उसकी मृत्यु हो गई.

हालांकि, उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के करीरी इलाके से ताल्लुक रखने वाले उस बच्ची के परिवार वालों ने यह आरोप लगाया कि उसकी मौत जलने के घावों की वजह से हुई है. सूत्रों ने बताया कि नवजात शिशुओं को, खासकर ठंड के मौसम में, डॉक्टर इलेक्ट्रिक वार्मर पर रखते हैं, जिससे कई बार समस्याएं उभर आने की संभावनाएं होती हैं.

जीबी पंत अस्पताल के उप - चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मुजफ्फर जान ने कहा, "बच्ची की मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में एक पांच - सदस्यीय समिति का गठन किया गया है."

उन्होंने बताया कि उक्त समिति 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

बच्ची के परिजनों के इस दावे से कि नवजात शिशु की मौत जलने की वजह से हुई है पूरी घाटी में उबाल आ गया है. मृतक की परेशान करने वाली तस्वीरें, जिसमें उसकी बांह पर छाले दिखाई दे रहे हैं, सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा की गयी हैं. इस बारे में ट्वीट करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर लिखा:

जीबी पंत अस्पताल, जहां एक नवजात बच्ची को कथित रूप से जला दिया गया था, की आपराधिक लापरवाही की निंदा करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है. आशा है कि इस खौफनाक घटना के लिए जिम्मेदार दोषियों को कड़ी सजा दी जायेगी ताकि किसी अन्य बच्चे के साथ ऐसी घटना न हो.

सूत्रों ने बताया कि जम्मू – कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है और जीबी पंत अस्पताल में नवजात शिशु की मौत के मामले में अलग से एक जांच का आदेश दिये जाने की संभावना है.

वर्ष 2012 में, पांच महीने की अवधि में 358 शिशुओं की मृत्यु हो जाने की वजह से यह अस्पताल सुर्ख़ियों में छाया था. इस घटना की सूचना मिलने पर लोगों में अस्पताल प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार के खिलाफ भी आक्रोश फैल गया था.

जांच के बाद इन मौतों के लिए अन्य कारणों के अलावा कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे की कमी को दोषी ठहराया गया था. उसके बाद राज्य सरकार ने अस्पताल में कुछ सुधार लाये और आधुनिक उपकरण खरीदे जिससे नवजात शिशुओं की मौत में कमी आई.

हालांकि, इस बात के आरोप लगते रहे हैं कि अस्पताल, , जोकि कुप्रबंधन और भाई-भतीजावाद से प्रभावित है, में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अभी भी जर्जर बनी हुई है.