आगामी 11 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश की दो लोकसभा और 60 विधानसभा सीटों के लिए एक साथ चुनाव होने हैं.

चुनाव आयोग ने बीते रविवार को यह घोषणा की कि लोकसभा के लिए चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होंगे. सात चरणों में होने वाले इन चुनावों की समाप्ति 19 मई को होगी. मतों की गिनती 23 मई को होगी.

इसके अलावा, संसदीय चुनावों के साथ – साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम विधानसभाओं के भी चुनाव कराये जायेंगे.

पिछले दो सालों में हुए दलबदल की बदौलत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 48 विधायकों के साथ अरुणाचल प्रदेश में सत्ता में है. नेशनल पीपुल्स पार्टी के पास 5 विधायक हैं. हालांकि उसने 2014 का चुनाव नहीं लड़ा था. कांग्रेस पार्टी के पास महज 5 विधायक हैं. यह अलग बात है कि 2014 का चुनाव शुरू में उसने ही जीता था. इधर, ताली विधानसभा क्षेत्र के विधायक मर्कियो ताड़ो द्वारा काग्रेस पार्टी छोड़ने के एलान के बाद कांग्रेसी विधायकों की संख्या 4 तक सिमट जाने वाली है. बाकी के बचे दो सीटों पर निर्दलीय विधायक हैं.

कुल 7,94,162 मतदाता आगामी चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें से 4,01,601 महिलाएं हैं. वर्ष 2014 की तर्ज पर इस बार भी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है.

इस बार, राज्य में 11 ऐसे मतदान केंद्र बनाये गये हैं जो सिर्फ महिलाओं के लिए होंगे.

राज्यभर में कुल 2,202 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले जायेंगे. सबसे अधिक मतदाता (1,340) ईटानगर विधानसभा क्षेत्र के तहत 52 एस ई (पावर) आफिस, ईस्ट साइड, नहारलागुन मतदान केंद्र पर हैं.

वर्ष 2014 के चुनावों की तर्ज पर इस बार भी सबसे कम मतदाता अनजाव जिले के हयूलीअंग विधानसभा क्षेत्र के मलोगम मतदान केंद्र पर दर्ज हैं. पिछली बार इस मतदान केंद्र पर सिर्फ दो मतदाता थे. लेकिन इस बार इनकी संख्या घटकर मात्र एक रह गयी है. इस मतदान केंद्र पर एकमात्र महिला वोटर अपना वोट डालेगी.

तवांग में मुख्यमंत्री पेमा खांडू के मुक्तो विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाला लुगुथंग में मतदान केंद्र संख्या 18 सबसे ऊंचाई (लगभग 13, 583 फीट) पर स्थित मतदान केंद्र है.

चुनावों की तारीख की घोषणा होने के साथ ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गयी है. इसके तहत राजनीतिक कार्यों एवं गतिविधियों के लिए सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल की मनाही है. राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों को भी विभिन्न गतिविधियों पर रोक है.

राज्य में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 25 मार्च है और नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 28 मार्च है. सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक वोट डाले जायेंगे और सारी चुनावी प्रक्रिया 27 मई तक आवश्यक तौर पर पूरी कर ली जायेगी.

भाजपा के नेतृत्ववाली वर्तमान राज्य सरकार हाल में स्थायी निवास प्रमाण – पत्र (पीआरसी) के मसले पर लोगों के गुस्से का निशाना बनी थी और पिछले महीने राज्य की राजधानी ईटानगर में इस मुद्दे पर जमकर विरोध – प्रदर्शन और हिंसा हुई थी. लोगों की नाराजगी को देखते हुए राज्य के उप – मुख्यमंत्री चोवना मीन को अपनी परंपरागत लेकंग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का इरादा बदलने को मजबूर होना पड़ा है. वर्ष 1995 से इस सीट से वे चुनाव लड़ते आ रहे थे. वे इस बार चोवखम सीट से चुनाव लड़ेंगे, जोकि उनके बड़े भाई सी टी मेन का गढ़ था.

श्री खांडू को कभी चुनाव का सामना नहीं करना पड़ा. पिछले दो बार वे निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. इस बार शायद उन्हें चुनाव का सामना करना पड़े क्योंकि बौद्ध भिक्षु लोबसांग ग्यात्सो उनके खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. श्री ग्यात्सो ने जिले में एक बड़ी पनबिजली परियोजना के निर्माण के विरोध की अगुवाई करते रहे हैं.

सत्तारूढ़ दल के लिए समस्यायें इसलिए भी जटिल हो गयी हैं क्योंकि इसके अधिकांश विधायक भाजपा द्वारा दिसम्बर 2016 में सरकार बना लेने के बाद ही पार्टी में शामिल हुए थे.उधर लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट मांग रहे हैं. कई दावेदारों ने चुनाव लड़ने के अपने इरादे का खुलकर इजहार कर दिया है. हालांकि, किसी भी पार्टी ने अबतक अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है.