आगाज़ -ए-दोस्ती ने 7वाँ इंडो-पाक शांति कैलेंडर को नईदिल्ली में लॉन्च करके दोनों देशों के बीच शांति की लौ को फिर से जागृत किया। कैलेंडर में चित्रित भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के स्कूली छात्रों द्वारा बनाए गए चित्रों ने इसे ख़ास बना दिया है। इस अवसर पर मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) टी के कौल (कार्यकारी अध्यक्ष, इंडिया पाकिस्तान सोल्जर्स इनिशिएटिव फॉर पीस) और मौलाना वाहिदुद्दीन खान (आध्यात्मिक विद्वान और शांति कार्यकर्ता) मौजूद थे।

7 वें भारत-पाक शांति कैलेंडर में भारत से प्रख्यात फिल्म निर्माता नंदिता दास, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) टी के कौल और पाकिस्तान से प्रो. आयशा जलाल (प्रसिद्ध इतिहासकार) और हुसैन नक़ी (अनुभवी पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता) के संदेश भी शामिल हैं। इस अवसर पर स्वैच्छिक युवा पहल आगाज़-ए-दोस्ती द्वारा संगोष्ठी की शुरुआत हुई जिसका शीर्षक था "शेयरिंग ऑफ होप्स फॉर पीसफुल को-एक्सिस्टेंस"। इसका मकसद भारत और पाकिस्तान के बीच लोगों के संबंधों को बेहतर बनाना है।

लॉन्च पर आगाज-ए-दोस्ती की संयोजिका सुश्री देविका मित्तल ने कहा: “हमें पिछले छह वर्षों में भारत-पाक शांति कैलेंडर पर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इस साल भी, पूरे भारत और पाकिस्तान के छात्रों ने पेंटिंग के रूप में अपना प्यार हमसे साझा किया है। पुरानी धारणाओं को तोड़ते हुए, युवाओं ने एक बार फिर प्यार और करुणा के साथ नफरत से लड़ने के लिए हाथ जोड़कर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का मार्ग प्रशस्त किया है।”

कैलेंडर की विशिष्टता बताते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) टी के कौल, कार्यकारी अध्यक्ष, इंडिया पाकिस्तान सोल्जर्स इनिशिएटिव फॉर पीस, ने कहा: “जैसा की निर्मला देशपांडे ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और पाकिस्तान के लोग एक ही हैं, बस भौगोलिक और मानवजनित सीमाओं ने उन्हें अलग कर दिया है। हमारी संस्कृति, कला और संवेदनाएं उन पूर्वजों की बात करती हैं जो सदियों से एक साथ बंधे थे। नफरत और युद्ध को शांति और भाईचारे के बीच न आने दें। मैं भारत-पाक शांति की पहल करने के लिए आगाज-ए-दोस्ती की सराहना करता हूं और उनको बड़ी सफलता मिले यह कामना करता हूं।”

भारत और पाकिस्तान एक ही इतिहास और संस्कृति साझा करते हैं लेकिन मानव निर्मित सीमाओं ने नागरिकों को लंबे समय से अलग कर दिया है। बढ़ता इंटरनेट उपयोग और सरकार द्वारा किये जा रहे शांति प्रयासों ने दोनों देशों के युवाओं को नज़दीक लाया है और एक शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। आगाज़-ए-दोस्ती दोनों देशों के युवाओं को एक-दूसरे से बातचीत करने और एक-दूसरे के बारे में जानने-सीखने के लिए एक बहुत ही आवश्यक मंच प्रदान करता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और मित्रता के अटूट बंधन का निर्माण करते हुए, आगाज़-ए-दोस्ती, सीमा के दूसरी ओर बढ़ रही गलतफ़हमिया को खोजने और पहचानने का माध्यम बनने का प्रयास कर रहा है। नागरिक कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्वैच्छिक युवा पहल मुख्य रूप से शांति शिक्षा के माध्यम से काम करती है। आगाज़-ए-दोस्ती ने अब तक भारत और पाकिस्तान में 25 'अमन चौपालों' (शांति सत्र) के माध्यम से विभिन्न प्रशिक्षणों और सेमिनारों का संचालन करके 7,000 से अधिक छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है । 'इंडो-पाक क्लासरूम कनेक्ट' नामक सत्रों में भारत और पाकिस्तान के स्कूली छात्रों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। आगाज़-ए-दोस्तों के सदस्य दोनों राष्ट्रों के छात्रों के बीच पत्रों और कार्डों का नियमित आदान-प्रदान भी करते हैं और हाल ही में इन पत्रों को लाहौर स्थित प्रसिद्ध फैज़ घर (फैज़ अहमद फैज़ के घर) में प्रदर्शित किया था।

पिछले वर्षों में भारत-पाक शांति कैलेंडर में कई प्रतिष्ठित लोगों ने अपना सहयोग व संदेश प्रदान किये है जैसे कमला भसीन (कवि, लेखिका और सामाजिक वैज्ञानिक) प्रो. एम एस स्वामीनाथन (हरित क्रांति के जनक), एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) कपिल काक, राहुल जलाली (पूर्व प्रेसिडेंट-प्रेस क्लब ऑफ इंडिया), निरुपमा सुब्रमण्यन (सीनियर जर्नलिस्ट और कुछ वर्षों से पाकिस्तान में पोस्टेड हैं) और अमरदीप सिंह (लेखक-लॉस्ट हेरिटेज -सिख लिगेसी इन पाकिस्तान), डॉ.अनीता एम वीस (शिक्षाविद) और फारूक तारिक (अवामी वर्कर्स पार्टी, पाकिस्तान के कार्यकर्ता और प्रवक्ता) है।