कर्नाटक विधानसभा और हाल के उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगे झटकों के बाद पार्टी के लिए गुजरात में भी मुसीबतें शुरू हो गयी हैं. अमित शाह समर्थित मुख्यमंत्री विजय रुपानी और उपमुख्यमंत्री नितीन पटेल के बीच टकराव बढ़ने की खबरें हैं.

पटेल समुदाय, जिसने एक समय आरक्षण के मुद्दे पर पूरे राज्य को ठप्प कर रखा था, में एक बार फिर से बेचैनी बढ़ रही है. युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने नये सिरे से एक बार फिर आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है. उन्होंने सीधे उपमुख्यमंत्री नितीन पटेल से अपने पद से इस्तीफा देकर इस आंदोलन से जुड़ जाने की अपील की है. राज्य के राजनीतिक गलियारों में श्री पटेल के भाजपा छोड़ने की अटकलें जोरों पर हैं और उनके साथ 20 – 25 असंतुष्ट विधायकों के “हटने” की संभावना जतायी जा रही है.

पिछले साल दिसम्बर में, हार्दिक पटेल ने नितीन पटेल से पार्टी छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने का अनुरोध किया था. उन्होंने उस वक़्त नितीन पटेल से “अपने साथ मात्र 10 भाजपा विधायकों को लेकर आने” को कहा था. अपने बहुप्रचारित मतभेदों के बावजूद उपमुख्यमंत्री अबतक पार्टी लाइन का अनुसरण करते रहे हैं. लेकिन हाल के चुनावों में लगे झटकों के सीधे अमित शाह के खाते में जाने की वजह से उनके समर्थकों को एक बार फिर से सिर उठाने का मौका मिल गया है.

सूत्रों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच दरार की पुष्टि की है. हाल में, पाटीदारों की एक सभा में हार्दिक पटेल ने अपने समुदाय के कांग्रेसी विधायकों को आमंत्रित किया और जेल भरो आंदोलन के साथ अपने विरोध प्रदर्शन को नये सिरे से शुरू करने का एलान किया. पटेल समुदाय में उपजे असंतोष को भुनाते हुए हार्दिक पटेल ने पिछले शनिवार को पूछा, “क्या हम सोने की बिस्कुट मांग रहे हैं? हम तो बस शैक्षिक संस्थानों में नामांकन और नौकरियों की मांग कर रहे हैं. हम उनलोगों के खिलाफ लड़ रहे हैं, जो हजारों लोगों के मौत के जिम्मेदार हैं.”

सभा में आये कांग्रेस के 14 विधायकों से मुखातिब होते हुए हार्दिक पटेल ने कहा, “हमारी आप से काफी अपेक्षाएं हैं. आपको विधानसभा में हमारी आवाज़ बनना होगा. आज आप 14 (कांग्रेस के पाटीदार विधायकों की कुल संख्या) हैं. कल आपकी संख्या 32 हो जायेगी. लेकिन अगर आप समुदाय की मदद नहीं करेंगे, तो समुदाय भी आपकी मदद करना छोड़ देगा.”

गुजरात में दिसम्बर 2017 के विधानसभा चुनावों में पटेल पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने कांग्रेस का समर्थन किया था. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने नितीन पटेल से उनकी अनुवाई में सरकार बनाने के लिए संपर्क साधा है और उन्हें अपनी पार्टी के 81 विधायकों का बाहर से समर्थन का भरोसा दिया है. राज्य विधासभा में भाजपा के 99 विधायक हैं. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा में पार्टी के 115 विधायक थे और इसने पिछले साल के विधानसभा चुनावों में राज्य के पाटीदार बहुल इलाकों, खासकर सौराष्ट्र, में बुरी तरह से अपना आधार खोया.

हालांकि, नितीन पटेल अंदरूनी कलह की न छुपने वाली ख़बरों से इंकार करते रहे हैं. गुजरात की राजनीति में कम वजनदार नेता होने के बावजूद विजय रुपानी को अमित शाह द्वारा आनंदीबेन पटेल का उत्तराधिकारी बनाये जाने से उभरी खीज से भी वे इंकार करते हैं. जबकि सरकार के गठन के दौरान अहम मंत्रालय देने के समय उनके नाम पर विचार भी नहीं किया जा रहा था और उन्हें वित्त मंत्रालय हासिल करने के लिए अपने समुदाय के नाम का सहारा लेना पड़ा था. उनके और रुपानी के बीच चलने वाली तनातनी ने भाजपा की प्रदेश इकाई को बांट दिया है, जिसमें रुपानी को अमित शाह का ‘नुमाइन्दा’ के तौर पर देखा जाता है.

इस बीच, हार्दिक पटेल ने पाटीदार समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं नितीन पटेल पर दबाव बढ़ा दिया है. वे कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं और उससे एक निश्चित दूरी बनाये हुए हैं. लेकिन इसके साथ ही, वे भाजपा के खिलाफ अपना अभियान जारी रखे हुए हैं. उनके हाल के मध्यप्रदेश दौरे में उन्हें अच्छा जनसमर्थन मिला. समर्थन इस कदर था कि, हार्दिक के शब्दों में, भाजपा चिंता में पड़ गयी और उनके हाल के जबलपुर दौरे में उनपर अंडे बरसाये गये. लेकिन इन सब से अविचलित हार्दिक पटेल ने फेसबुक पर इस हरकत का जमकर मजाक उड़ाया और इसे भाजपा की चिंता के उजागर होने का सबूत बताया.