प्रधानमंत्री 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान दो करोड़ सोजगार देने का जो वादा किया था वह 2019 के चुनाव में उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। प्रधानमंत्री सरकार के प्रधान हैं लेकिन वे सरकारी पदों पर रोजगार देने के मामले में चुप्पी बनाए हुए हैं और ऐसा अनुमान जाहिर कर रहे हैं कि बाजार ने एक साल में एक करोड़ रोजगार दिए हैं। जबकि विपक्ष सरकारी विभागों के खाली पड़े चौबीस लाख पदों के नहीं भरे जाने के आंकड़े पेश कर प्रधानमंत्री के प्रचार पर प्रश्नचिन्ह् खड़े कर रहा है।

संसद के पिछले सत्र के दौरान लोकसभा में दो भाषण सुनने को मिलें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर अपने भाषण में बाजार में एक करोड़ रोजगार मिलने का एक अनुमान लगाया। उनके अनुमान का आधार और बाजार के हालात अंतर्विरोधी दिखते हैं। उन्होने संसद में बताया कि मसलन “2016-17 में लगभग 17 हजार नये चार्टर्ड एकाउंट्स सिस्टम में जुडे हैं। इनमें से पांच हजार से ज्यादा लोगों ने नई कंपनियां शुरू की हैं। अगर एक चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्था में 20 लोगों को रोजगार मिलता है तो इन संस्थाओं में एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है।” दिल्ली की एक पुरानी चार्टेड संस्था के प्रमुख कैलाश गोदका के अनुसार किसी चार्डेट एकाउंटेंट संस्था में 10 से 20 प्रतिशत ही कर्मचारी होते हैं। बाकी इन संस्थाओं में वैसे छात्र छात्राएं से काम लिया जाता हैं जो प्रशिक्षण या ट्रेंनिंग के लिए भर्ती किए जाते हैं। ये छात्र संस्था के वेतनभोगी कर्मचारी नहीं होते हैं ।

दूसरा पक्ष यह भी है कि प्रधानमंत्री ने अपने लंबे भाषण में सरकार के विभिन्न विभागो के आंकड़े नहीं दिए कि वहां कितने रोजगार दिए गए हैं जहां दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को आरक्षण देने की व्यवस्था हैं। जबकि लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जून खड़गे ने 6 अगस्त को अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण संबंधी विधेयक पर अपने संक्षिप्त भाषण में यह बताया कि सरकारी सेवाओं में 24 लाख पद खाली पड़े हैं। देश में रोजगार के अवसर पैदा करने के दावा और रोजगार के जहां अवसर पहले से मौजूद हैं उन जगहों पर भर्तियां नहीं होने के दावे ने रोजगार को 2019 चुनाव के लिए एक मुख्य मुद्दा बना दिया है। रोजगार के आंकड़ों के राजनीतिक संघर्ष को समझने के लिए उक्त दोनों भाषणों के अंश प्रस्तुत हैं।

प्रधानमंत्री द्वारा बाजार में अनुमानित एक करोड़ रोजगार मिलने का संसद में दिया गया हिसाब किताब संसद में विपक्षी नेता द्वारा 24 लाख सरकारी पदों के नहीं भरे जाने का हिसाब किताब
इस देश में रोजगार को लेकर के बहुत सारे भ्रम फैलाए जा रहे हैं । फिर एक बार सत्य को कुचलने का प्रयास ,आधारहीन बाते, बिना जानकारी के गप्प चलाना - अच्छा होता , उस पर बारीकी से ध्यान देते तो देश के नौजवानों को निराश करके राजनीति करने का पाप नहीं करते । संगठित क्षेत्र में रोजगार बृर्द्धि को मापने का एक तरीका ईपीएफ में कर्मचारियों का अंशदाता । सितम्बर, 2017 से लेकर मई, 2018 के नौ महीनों में लगभग 45 लाख नये सबस्क्राइबर ईपीएफ से जुडे हैं । इनमें से 77 परसेंट 28 वर्ष से कम उम्र के हैं । फाँर्मल सिस्टम में न्यू पेंशन स्कीम में पिछले दो महीने में 5 लाख 68 हजार से ज्यादा लोग जुडे हैं ।इन दो आंकडों को मिलाकर ही पिछले नौ महीनों में फाँर्मल सैक्टर में पचास लाख से ज्यादा लोग रोजगार में जुडे हैं । यह संख्या पूरे वर्ष के लिए 70 लाख से कर्मियों के ई. एस. आई.सी. के आंकडों को सम्मिलित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त देश में कितनी ही प्रोफेशनल बॉडीज हैं, जिनमें युवा प्रोफेशनल डिग्री लेकर अपने आपको रजिस्टर्ड करते हैं, और अपना काम करते हैं । उदाहरण के तौर पर डाक्टर्स, इंजीनियर्स, आर्किटेक्टस, लाँयर्स, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कास्ट एकाउंट्स कंपनी, कंपनी सेक्रेटरीज इनमें एक स्वतंत्र इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूट ने सर्वे किया है और इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूट की स्टडी कह रही है, उन्होंने जो आंकडे रखे हैं, उनका कहना है कि 2016-17 में लगभग 17 हजार नये चार्टर्ड एकाउंट्स सिस्टम में जुडे हैं। इनमें से पांच हजार से ज्यादा लोगों ने नई कंपनियां शुरू की हैं। अगर एक चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्था में 20 लोगों को रोजगार मिलता है तो इन संस्थाओं में एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। पोस्ट ग्रेजुएट डाक्टर - हमारे देश में 80 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट डाक्टर्स,डेंटल सर्जन और आयुष के डाक्टर शिक्षित होकर प्रति वर्ष कालेज से निकलते हैं। इनमें से अगर साठ प्रतिशत भी खुद की प्रैक्टिस करें तो प्रति डाक्टर पांच लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और यह संख्या दो लाख चालीस हजार होगी । लॉयर्स -2017 में लगभग 80 हजार अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लॉयर बने । इनमें से अगर साठ प्रतिशत लोगों ने अपनी प्रैक्टिस शुरू की होगी और दो -तीन लोगों को रोजगार दिया होगा तो लगभग 2 लाख लोगों को रोजगार उन वकीलों के माध्यम से मिला है। इन तीन प्रोफेशन में ही 2017 में छः लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। अब अगर इनफार्मल सैक्टर की बात करें तो पिछले वर्ष ट्रांसपोर्ट सैक्टर में 7 लाख 60 हजार कमर्शियल गाडियों की बिक्री हुई। 7 लाख 60 हजार कमर्शियल गाडियों में से अगर 25 प्रतिशत गाडियों की बिक्री पुरानी गाड़ियों को बदलने के लिए माने तो 5 लाख 70 हजार गाड़ियां सामान ढुलाई के लिए सड़क पर उतरीं और नई भी उतरीं। ऐसी एक गाड़ी पर अगर दो लोगों को भी रोजगार मिलता है तो रोजगार पाने वालें की संख्या 11 लाख 40 हजार होती। उसी तरह अगर हम पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री 25 लाख 40 हजार की थी। इनमें से अगर बीस प्रतिशत गाड़ियां पुरानी गाड़ियों को बदलने की मानी जाएं तो लगभग बीस लाख नई गाड़ियां सड़कों पर उतरीं। इन नई गाड़ियों में अगर केवल 25प्रतिशत गाड़ियां भी ऐसी मानी जाएं, जो एक ड्राइवर को रोजगार देती है तो वह पांच लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।

उसी तरह पिछले साल, हमारे यहां दो लाख 55 हजार ऑटोज़ की बिक्री हुई है। इनमें से दस प्रतिशत की बिक्री अगर पुराने ऑटो को बदलने की मानी जाए तो दो लाख तीस हजार नए ऑटोज़ पिछले वर्ष सड़क पर उतरे हैं, क्योंकि ऑटो दो शिफ्टों में चलते हैं। दो ऑटो से तीन लोगों को रोजगार मिलता है। ऐसे में तीन लाख चालीस हजार लोगों को नए ऑटो के जरिए रोजगार मिला है। अकेले ट्रांस्पोर्ट सैक्टर को इन तीन तरीको से पिछले एक वर्ष में 20 लाख लोगों को नए अवसर मिले हैं। अगर हम जोड़कर देखें तो एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अकेले पिछले वर्ष रोजगार मिला है। .
जितनी भी सरकारी सेवाएं है उनमें कम से कम 24 लाख वैकेंसी खाली पड़ी हुई हैं। एलीमेंट्री चीचर्स -10,10000, पुलिस 5.4 लाख , आंगनवाड़ी वर्कर्स -2.25 लाख, हैल्थ सेंटर्स- 1.5 लाख , आर्म्ड फोर्सेज,62084 , पैरा मिलिट्ररी फोर्सेज 61509, पोस्टल डिपार्टमेंट- 54263 , एम्स -21740, अन्य हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशस-12020, कोर्टस अनक्लुडिंग सुप्रीम कोर्ट , सैंशस कोर्टस एंड आल कोर्टस 5853, इस तरह टोटल 23,18000 हैं।