उत्तर प्रदेश में छोटी-छोटी घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग दिए जाने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है और पुलिस पर ऐसी घटनाओं को लगाम लगाने के बजाय पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लग रहा है. ताजा घटना में बलरामपुर के उतरौला में कहा-सुनी के बाद साम्प्रदायिक तनाव फैल गया.

रिहाई मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने साम्प्रदायिक तनाव से प्रभावित उतरौला क्षेत्र का दौरा किया. दौरे के बाद जारी किये गये अपने बयान मंच ने कहा कि यह घटना सूबे में छोटी-छोटी घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग दिए जाने के सिलसिले की ताजा कड़ी है. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि लोगों का आरोप है कि पुलिस ने एक पक्ष का एफआईआर दर्ज किया और दूसरे पक्ष की बात अनसुनी करते हुए कहा कि "हम कमल के हैं, कमल की ही सुनेंगें". प्रतिनिधिमंडल में अज़ीम फ़ारूक़ी, शाहरुख़ अहमद, अब्दुल लतीफ़ शामिल थे.

प्रतिनिधिमंडल ने अपने दौरे में पाया कि उतरौला में दो परिवारों के बीच हुई कहा - सुनी को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया और एकपक्षीय कार्रवाई में दूसरे पक्ष के पांच लोगों को नामज़द और बीस अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया. इस तनाव के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग अपना मोहल्ला छोड़कर भाग रहे हैं.

प्रतिनिधिमंडल को बताया गया कि उतरौला कस्बे के वार्ड नं 4, आर्य नगर में बीते 13 नवम्बर को दो परिवारों के बीच कहा -सुनी हुई थी. मोहल्ले में अमित कश्यप की पान मसाले (जनरल स्टोर) की दुकान है. दुकान पर लोगों का आना-जाना बना रहता है. जैसा कि आम तौर पर होता है, लोगों के बीच हंसी-मजाक भी चलता रहा है. उस दिन भी यही हुआ. लेकिन हंसी-मजाक ने कहा - सुनी का रूप ले लिया. बाद में अमित की मां कालिया के घर शिकायत लेकर पहुंच गईं. लेकिन मामला सुलटने के बजाए और उलझ गया. बात इस कदर बढ़ी कि मामला चौकी तक पहुंच गया और वहां आख़िरकार दोनों परिवारों के बीच समझौता भी हो गया.

लोगों ने प्रतिनिधिमंडल को यह भी जानकारी दी कि समझौते के दो दिन बाद 15 नवम्बर को रात 8-9 बजे के बीच कश्यप समुदाय के लोग आ जुटे और कालिया समेत बाकी मुस्लिम घरों में पत्थर फेंकने लगे. इसके बाद दोनों पक्षों में भिड़ंत से मामला गंभीर हो गया.

अमित ने कोतवाली उतरौला में 16 नवम्बर को एफआईआर दर्ज कराई. इसमें कालिया, अकबर अली, सद्दाम, हसन, वाजिद अली उर्फ़ सानू पांचनामज़द और पंद्रह-बीस अज्ञात लोग शामिल किए गए. अब तक तीन लोगों - कालिया (25), नौशाद (26) और राजू (32) - को गिरफ्तार कर लिया गया है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि एफआईआर में कई ऐसे लोगों के नाम हैं जो घटना के दिन वहां थे ही नहीं. प्रतिनिधिमंडल को बताया गया कि दहशत इतनी फैली कि पुलिस के खौफ से मुस्लिम परिवार के लोग मोहल्ला छोड़कर भाग गए.

प्रतिनिधिमंडल को जानकारी दी गयी कि एफआईआर के लिए उतरौला चेयरमैन इदरीस खान थाना गए थे. लेकिन कोतवाल ने उनकी मांग ख़ारिज करते हुए कहा कि "हम कमल के हैं, कमल की ही सुनेंगें". वंहा के लोगों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि पत्थरबाजों को पुलिस गाड़ी में बैठाकर चुन-चुन कर मुसलमान युवकों की गिरफ़्तारी कर रही है.