कांग्रेस के शासन काल में ही पेंच पाॅवर प्रोजेक्ट बनाने हेतु ग्राम चैसरा, धनौरा, डागावानी पिपरिया, टेकाथांवरी और हीवरखेड़ी के किसानों की जमीन सन् 1986-87 में अधिग्रहित की गई अधिग्रहण की कार्यवाही भू-अर्जन की धारा 17 के तहत अतिशीघ्र अधिग्रहण के तहत की गई, अधिग्रहण थर्मल पाॅवर बनाने, एवं थर्मल पाॅवर से निकलने वाली राख को एकत्रित करने, तथा काॅलोनी के निर्माण हेतु अधिग्रहित की थी किन्तु दुर्भाग्य है कि आज तक थर्मल पाॅवर नही बनाया जा सका। जमीन अधिग्रहण करते समय किसानों को सुनहरे सपने दिखाये गये थे कि जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है, प्रत्येक परिवार को सरकारी नौकरी दी जायेगी, प्रभावित किसान परिवार को मुफ्त में बिजली दी जायेगी तथा लागत मूल्य में बिजली बेची जायेगी और इसी कारण बिना किसी संघर्ष के किसानों ने खुशी-खुशी अपनी सहमति देते हुए जमीन सरकार के हवाले कर दी। किन्तु कांग्रेस सरकार थर्मल पाॅवर बनाने में पूर्णतः असमर्थ रही। भारतीय जनतापार्टी सत्ता में आई तो सन् 2010 में साढ़े तेरह लाख रूपये एकड की दर से उक्त जमीन अदानी पाॅवर प्लांट को बेच दी, किन्तु 2010 से लेकर 2018 तक भी अदानी पेंच पाॅवर प्रोजेक्ट बनाने में पूर्णतः असमर्थ रहा।

किसान संघर्ष समिति, नर्मदा बचाओं आन्दोलन, जनआन्दोलन का राष्ट्रीय समन्वय, भूमि अधिकार आन्दोलन के प्रदर्शन का परिणाम रहा कि कांग्रेस की सरकार ने भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 बनाया जिसे 01 जनवरी 2014 से लागू किया जिसमें उल्लेख किया गया कि अवार्ड पारित होने के पाॅच साल के अन्दर कोई परियोजना पूरी नही होती है तो किसान की जमीन किसानों को वापस कर दी जायेगी। छत्तीसग़ढ़ में सत्ता में आते की कांगे्रस की सरकार ने टाटा द्वारा अधिग्रहित भूमि किसानों को वापस कर दी। अदानी पाॅवर प्लांट से प्रभावित किसान आपसे इस पत्र के माध्यम से यह आशा और विश्वास करते है कि आप जब मुख्यमंत्री बनने के बाद 30 तारीख को अपने मंत्रिमण्डल के साथ छिन्दवाड़ा आ रहे है तो अदानी पाॅवर प्लांट से प्रभावित किसानों की जमीनें किसानों को वापस करने के आदेश जारी करेगें। वर्तमान में वह जमीन बहुत उपजाऊ हो चुकी है क्योकि माॅचागोरा बाँध का पानी उन खेतों तक पहुँच सकेगा जो आज की तारीख में अदानी के कब्जे में अनावश्यक तौर पर पड़ी है जिसका की कोई उपयोग नही हो रहा रहा है।

अदानी पाॅवर प्लांट से प्रभावित किसान यह मानते है कि आन्दोलन से लोकतंत्र मजबूत होता है। आन्दोलनकारी किसानों को जिन्होने अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी और किसानों के आन्दोलन के परिणाम स्वरूप ही आज मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है आशा है आप आन्दोलनकारियों को अपना दुश्मन नही मित्र समझते हुए किसानों की जमीन किसानों को वापस कराने में सहयोग करेगें।