हाल के दिनों में अलग – अलग राज्यों की विधानसभाओं में नये वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया गया. इसी क्रम में, 19 फरवरी को गुजरात विधानसभा में भी 2019 - 20 का बजट पेश किया गया. इस बजट में कुल 1.92 लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है.

आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इस बजट में राज्य के कमोवेश हर जाति और वर्ग मसलन वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और यहां तक कि उन आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी खुश करने की कोशिश की गयी है, जिन्होंने राज्य विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया था. लेकिन इस बजट को लेकर राज्य का अल्पसंख्यक समुदाय हैरान है.

जानकारों के मुताबिक, बजट में राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए गुजरात अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के तहत 1 लाख, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के हिस्से के तौर पर 1.50 करोड़, मल्टी सेक्टोरियल डेवेलपमेंट प्लान (MSDP) के तहत राज्य के हिस्से के तौर पर 4 करोड़ यानि कुल मिलाकर 5.51 करोड़ का आवंटन किया गया है. गुजरात की कुल आबादी में अल्पसंख्यक समुदाय की हिस्सेदारी 11.5 फीसदी है.

बजट से पहले माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमेटी, गुजरात ने राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के विकास, रक्षण, शिक्षा, रोज़गार के लिए राज्य सरकार से बजट में कुल 5,940 करोड़ का प्रावधान करने की मांग की थी.

बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमेटी, गुजरात के संयोजक मुजाहिद नफीस ने कहा, “भाजपा सरकार विज्ञापनों में भले ही ‘सबका साथ,सबका विकास’ की बड़ी - बड़ी बातें करती है, लेकिन गुजरात में वह जानबूझकर 11.5 फीसदी आबादी को विकास से दूर रखने का काम करती है. निश्चित रूप से, यह संविधान में निहित सभी को विकास और न्याय के सामान अवसर की मूल भावना के विरूद्ध है.”

उन्होंने आगे कहा, “हम सरकार की समाज को बांटने व जानबूझ कर एक समुदाय विशेष को पिछड़ा रखने के प्रयास की निंदा करते हैं. हम आने वाले दिंनों में सरकार की बांटने की नीति को जन - जन तक पहुचायेंगे और इसके विरूद्ध सड़क से लेकर अदालत तक अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे.”

हालांकि, विधानसभा में बजट पेश करते हुए उप – मुख्यमंत्री नितीन पटेल ने कहा, “ देश की आबादी में गुजरात का हिस्सा 5 फीसदी है, लेकिन वह देश के जीडीपी में 7. 8 फीसदी की हिस्सेदारी करता है. हमारी सरकार ने राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए एक सुनियोजित रवैया अपनाया है.”