वे भले ही लोकसभा का चुनाव न लड़ रहे हों, लेकिन राज्य के दर्जन भर चुनाव क्षेत्रों में उनकी इज्जत दांव पर लगी है.

योगी आदित्यनाथ के इन मंत्रियों का दावा है कि उन्होंने अपने – अपने क्षेत्रों में काफी काम करवाया है और लोकसभा चुनाव के नतीजे क्षेत्र पर उनकी पकड़ की पुष्टि करेंगे जिसका असर राज्य सरकार में उनके भविष्य पर भी पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और राज्य के डेयरी विकास मंत्री मथुरा से आते हैं. इसी संसादीय क्षेत्र से भाजपा सांसद हेमा मालिनी दुबारा जोर आजमाईश कर रही हैं.

कहा जा रहा है कि हेमा मालिनी को सत्ता – विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है और राज्य सरकार के मंत्रियों को उन्हें लोकसभा में दुबारा भेजने के लिए उनकी जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी दी गयी है. मथुरा एक चर्चित सीट है और यहां राष्ट्रीय लोकदल के कुंवर नागेन्द्र सिंह उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों सर्वश्री सिद्धार्थनाथ सिंह और नन्द गोपाल नंदी का गृह क्षेत्र है और यहां से राज्य सरकार की एक अन्य मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भाजपा उम्मीदवार हैं. यहां के निवर्तमान सांसद श्यामा चरण गुप्ता पहले ही दल बदलकर समाजवादी पार्टी में जा चुके हैं. नन्द गोपाल नंदी इस सीट से अपनी पत्नी के लिए टिकट चाह रहे थे और माना जा रहा है कि श्रीमती जोशी की उम्मीदवारी से वे नाखुश हैं.

रीता बहुगुणा जोशी की जीत बहुत हद तक भाजपा सरकार के मंत्रियों की लोकप्रियता पर निर्भर करेगी. सिविल लाइन्स इलाके में एक पेट्रोल पंप के मालिक राजेश कुमार कहते हैं, “इन मंत्रियों की लोकप्रियता तेजी से गिर रही है और भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी.”

उत्तर प्रदेश सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा कैराना संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. यहां से सपा – बसपा गठबंधन की वर्तमान सांसद तबस्सुम हसन दुबारा लड़ रही हैं. तबस्सुम हसन उपचुनाव में हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को हराकर विजयी हुई थी. यह उपचुनाव हुकुम सिंह के निधन की वजह से हुआ था.

राष्ट्रीय लोकदल – बसपा – सपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर तबस्सुम हसन को एक खास किस्म का लाभ है, जबकि राज्य के इस गन्ना उत्पादक क्षेत्र में गन्ना किसानों के बढ़ते बकायों की वजह से भाजपा के प्रति भारी नाराजगी है.

उत्तर प्रदेश के एक अन्य मंत्री एस. पी. सिंह बघेल खुद आगरा (सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार हैं. यहां के निवर्तमान सांसद रमाशंकर कठेरिया को इटावा भेज दिया गया है और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता इस बदलाव से बहुत खुश नहीं हैं.

बरेली से, केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार लोकसभा में आठवीं बार जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं. उत्तर प्रदेश के दो वरिष्ठ मंत्रियों – राजेश अग्रवाल और धर्मपाल सिंह – का संबंध इस क्षेत्र से है. इन दोनों मंत्रियों को क्षेत्र में जमे रहने और पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने को कहा गया है. श्री गंगवार का मुकाबला कांग्रेस के भूतपूर्व सांसद प्रवीण एरन से है.

राज्य मंत्री अतुल गर्ग गाजियाबाद से आते हैं और उन्हें केन्द्रीय मंत्री जन. (अवकाश प्राप्त) वी. के. सिंह की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गयी है.

भाजपा सांसद राघव लखनपाल सहारनपुर से दुबारा मैदान में हैं, जहां उन्हें कांग्रेस के इमरान मसूद चुनौती दे रहे हैं. इस क्षेत्र से आने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह सैनी को सांसद के प्रचार की कमान सौपी गयी है.

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, चुनाव खत्म होने के बाद मंत्रियों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की जायेगी.

उन्होंने कहा, “जब हम चुनाव परिणामों का विश्लेषण करेंगे, तो हम मंत्रियों के प्रदर्शन का भी आकलन करेंगे और उसके बाद जरुरी बदलाव किये जायेंगे.”