सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाते हुए विभिन्न कारणों से अकेली जिंदगी बसर कर रही गुजरात की महिलाओं ने हाल में अपने अधिकारों के संघर्ष के लिए एकजुट होने का फैसला किया. इन महिलाओं ने अपनी लड़ाई लड़ने के लिए एक नये संगठन का एलान किया. उन्होंने सरकार के सामने अपनी 20 - सूत्री मांगें भी पेश की.

गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में 16 मार्च को एक सम्मेलन में एकल महिला अधिकार संगठन के गठन का एलान किया गया. इस सम्मेलन में लगभग 1500 एकल महिलाओं ने भाग लिया. इस नवोदित संगठन ने आने वाले दिनों में गुजरात के हर जिले में एकल महिलाओं के हितों के लिए काम करने का संकल्प लिया.

इस सम्मेलन में सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किये गये और एकल महिलाओं के अधिकारों के लिए गांव से लेकर दिल्ली तक संघर्ष करने का इरादा व्यक्त किया गया. यह भी तय किया गया कि लोकसभा चुनाव में उतरने वाले सभी उम्मीदवारों व राजनीतिक दलों को एकल महिलाओं के हितों से जुड़े अहम अधिकारों और मांगों को लेकर एक माँगपत्र सौंपा जाये और इसके अमल के लिए उनपर दवाब बनाया जाये.

सम्मेलन में हुराबेन को एकल महिला अधिकार संगठन का संयोजक निर्वाचित किया गया.

इस सम्मेलन को सफल बनाने और एकल महिला अधिकार संगठन के गठन में माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमेटी के मुजाहिद नफ़ीस और जुनैद अंसारी, शैलेश ठक्कर, दानिश खान और शकील शेख आदि जैसे अन्य पुरुष सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभायी. सम्मेलन ने सर्वसम्मति से मुजाहिद नफ़ीस को संरक्षक की जिम्मेदारी सौंपी.



सम्मेलन के बाद महिलाओं ने साबरकांठा के जिला कलेक्टर को एक मांगपत्र भी सौपा गया. इसमें सरकार से एकल महिलाओं के लिए आजीवन पेंशन योजना की मांग की गयी और इस पेंशन की राशि को 5000 रूपए रखने की अपेक्षा की गयी.

सरकार से एकल अथवा अकेली महिलाओं की गिनती गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार में करने और उन्हें अन्त्योदय कार्ड देने की भी मांग की गयी.

सभी एकल महिलाओं के लिए सरकार की ओर से एक प्लॉट देने की बात भी मांग – पत्र में उठायी गयी. सरकार के समक्ष एकल महिलाओं को आवास योजना में एक घर और मुफ्त विद्युत (एम) कनेक्शन देने की मांग भी रखी गयी.

निराश्रित बुजुर्ग एकल महिलाओं को अन्नपूर्णा कार्ड जारी करने की मांग भी राज्य सरकार से की गयी. अशक्त एकल महिलाओं के लिए भी पेंशन योजना के तहत 5000 रूपए तक का पेंशन देने की बात उठायी गयी.

जाति और धर्म के बंधनों से परे जाकर सभी एकल महिलाओं को उज्ज्वला योजना का लाभ देने की मांग की गयी.

मांग – पत्र में अकेली रहने वाली किसी भी विधवा को एक साल के भीतर स्वरोजगार प्रशिक्षण योजना के तहत सरकारी किट देने और उन्हें स्वरोजगार के जरिए आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया.

सम्मेलन को अहमदाबाद की जमीला खान और साबरकांठा जिले के विभिन्न इलाकों के गांवों से आई हंसाबेन, विलासबेन, हलीमाबेन, हसीनाबेन, सीमाबेन, गंगाबेन, हसुबा, हिनाबेन और लीलाबेन ने भी संबोधित किया.