इंग्लैंड की एक संस्था, सीडीपी वर्ल्डवाइड, ने दुनिया के 570 देशों के ऊर्जा स्त्रोतों का अध्ययन कर यह बताया कि इस समय कुल 101 शहरों में ऊर्जा की कुल मांग में से 70 प्रतिशत से अधिक अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों से प्राप्त किया जा रहा है. इसमें भारत का एक भी शहर नहीं है. वर्ष 2015 में ऐसे शहरों की संख्या मात्र 42 थी, इसका मतलब यह है कि 2015 से 2017 के बीच ऐसे शहरों की संख्या दुगुनी से अधिक हो गयी. सीडीपी वर्ल्डवाइड की जलवायु परिवर्तन मामलों की निदेशक निकोलेट बार्टलेट के अनुसार शहरों की संख्या से इतना तो पता चलता है कि शहर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किस तेजी से अक्षय ऊर्जा संसाधनों की तरफ भाग रहे हैं, और यह एक अच्छी खबर है.

वर्ष 2017 के अंत तक दुनिया में 42 ऐसे शहर थे जिनकी ऊर्जा की पूरी की पूरी मांग अक्षय ऊर्जा से प्राप्त हो रही है, 70 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा वाले 59 शहर और 50 प्रतिशत वाले 22 शहर थे. पूरी तारक अक्षय ऊर्जा पर चलने वाले शहरों में 30 लैटिन अमेरिकन शहर हैं. ऑकलैंड, नैरोबी, ओस्लो और ब्रासिलिया जैसे बड़े शहर भी अक्षय ऊर्जा की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. अमेरिका में वर्मांट प्रान्त का बर्लिंगटन शहर पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा पर आधारित है. यह ऐसा करनेवाला अमेरिका का एकमात्र शहर है पर एटलांटा और सन डिएगो जैसे शहरों समेत कुल 50 शहरों का लक्ष्य शीघ्र ही पूरी तरह अक्षय ऊर्जा पर निर्भर होने का है. यह इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्यों कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार कोयला आधारित बिजलीघरों को बढ़ावा दे रहे हैं और वे जलवायु परिवर्तन के सिद्धांत के प्रबल विरोधी हैं.

ब्रिटेन में वर्ष 2050 तक 84 शहरों को अक्षय ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य है. आइसलैंड की राजधानी रिक्जेविक अभी पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा पर निर्भर है और वर्ष 2040 तक वहां सभी वाहन भी जीवाष्म इंधनों से मुक्त होंगे. जुलाई 2017 तक यूरोप के देश 1.7 अरब डॉलर का निवेश अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर कर चुके थे, लैटिन अमेरिकी शहरों ने इसके लिए 18.3 करोड़ डॉलर का निवेश किया और अफ्रीकी शहरों ने 23.6 करोड़ डॉलर का निवेश किया.

ब्राज़ील ने अक्षय ऊर्जा को बहुत तेजी से अपनाया है और वहाँ के 46 छोटे-बड़े शहरों में ऊर्जा की कुल खपत का 70 प्रतिशत या अधिक हिस्सा ऐसे ही स्त्रोतों से आता है. पुर्तगाल और कनाडा में से प्रत्येक में 5 शहर; अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड और कोलंबिया में से प्रत्येक में 4 शहर; केन्या, नोर्वे, न्यूज़ीलैण्ड और इटली में से प्रत्येक में 3 इस प्रकार के शहर हैं. आइसलैंड और कैमरून में 2-2 शहर अक्षय ऊर्जा से जगमग हैं.

जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों को देखते हुए अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर दुनियाभर में तेजी से काम किया जा रहा है. अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत सूर्य, हवा, जैविक इंधन और पानी हैं और इनसे जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन बहुत कम होता है. अब तो अनेक शहर शून्य-कार्बन की दिशा में काम कर रहे हैं. हमारे देश में भी वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट विदुत उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है. देश के कई हिस्सों में पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा पर आधारित बिजलीघर स्थापित किये जा रहे हैं.