क्या, गेंहूँ और चावल पैदा करने वाले क्षेत्रों के लोगों का व्यवहार अलग अलग होता है? यह प्रश्न भी हमारे दिमाग में शायद ही आता हो, पर सांस्कृतिक मनोविज्ञान के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि गेहूं और चावल पैदा करने वाले क्षेत्रों के लोगों का मनोविज्ञान अलग अलग होता है. यह अध्ययन चीन में किया गया. चीन को बाहर से जानने वाले लोगों को पूरे चीन के लोग एक जैसे तो लगते ही हैं, साथ ही उनकी संस्कृति, परंपरा और व्यवहार भी एक जैसा ही लगता है. पर, चीन के निवासियों को उत्तरी और दक्षिणी चीन के निवासियों के व्यवहार में अंतर सदियों से पता है. चीन की सबसे बड़ी नदी, यांगात्ज़े, चीन को उत्तरी और दक्षिणी भागों में बांटने का काम करती है.

थॉमस ताल्हेल्म, जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्जिनिया में सांस्कृतिक मनोविज्ञान के शोध-छात्र हैं, के अध्ययन से पता चलता है कि उत्तरी और दक्षिणी चीन की संस्कृतियों का अंतर वाहन प्रमुख तौर पर उपजाए जाने वाली फसलों के कारण भी हो सकता है. यह अध्ययन प्रसिद्ध वैज्ञानिक पत्रिका, साइंस, के ९ मई के अंक में प्रकाशित किया गया है. दक्षिणी चीन अपेक्षाकृत अधिक गर्म और नम है, इसलिए सदियों से इस क्षेत्र में धान यहाँ की प्रमुख पैदावार रहा है. उत्तरी चीन अपेक्षाकृत अधिक ठंडा और शुष्क है, इस क्षेत्र में गेहूं परम्परागत तौर पर उपजाया जाता है. थॉमस ताल्हेल्म के अनुसार इन क्षेत्रों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि उत्तरी चीन के लोग एकाकी और कुछ हद तक घमंडी होते हैं जबकि दक्षिणी चीन के लोग मेल-जोल, और सामाजिक कर्तव्यों के प्रति अधिक निष्ठावान हैं.

थॉमस ताल्हेल्म के अनुसार चावल की पैदावार में गेहूं के मुकाबले दुगुने से अधिक मिहनत लगती है. गेहूं की खेती एक अकेला किसान भी कर सकता है, जबकि धान की खेती में किसानों, उनके मित्रों और उनके परिवारों की सामूहिक भागीदारी होती है. धान की खेती के लिए जटिल सींचाई तंत्र विकसित करना पड़ता है, जिसमे पूरा समुदाय भागीदार होता है, मेड़ों को काटना, खेतों में पानी भरना, फिर अस्थायी तौर पर पानी को बंद करना इत्यादि एक जटिल तंत्र है, जिसमे आस-पास के सारे लोग एक साथ काम करते हैं. सदियों से, उत्तर और दक्षिणी चीन में फसलों का यह अन्तर अब इन क्षेत्रों के लोगों के व्यवहार में भी शामिल हो गया है.

वैसे तो यह अध्ययन चीन में किया गया है, पर इसके निष्कर्ष को किसी भी जगह पर लागू किया जा सकता है. अपने देश में भी धान और गेहूं की पैदावार के विशेष क्षेत्र है, उत्तर और मध्य भारत में गेहूं की पैदावार अधिक की जाती है, जबकि पूर्वी और दक्षिणी भारत में चावल अधिक पैदा होता है. सामान्य तौर पर उत्तर व्हारत के लोग अधिक एकाकी और महत्वाकांक्षी होते हैं और पर्व त्योहारों को छोड़ दें तो तो अधिक सामाजिक नहीं होते जबकि पूर्वी क्षेत्रों का समाज अधिक बंधा हुआ है और लोग एक दूसरे का अधिक सहयोग करते है.

कम से कम हमारे देश में गेहूं उपजानेवाले क्षेत्र अधिक समृद्ध नही हैं और चावल उपजानेवाले क्षेत्र अपेक्षाकृत गरीब. कुछ महीनों पहले भी साइंस में ही प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार गरीब तबका सामाजिक तौर पर अधिक मजबूत होता है और इनका इंटेलिजेंट क्योशेंट ज्यादा होता है.

उपरोक्त अध्ययन से आप विश्व के नक़्शे पर पूर्व और पश्चिम का अंतर भी समझ सकते हैं. भारत, चीन और जापान जैसे पूर्वी देशों में धान की पैदावार अधिक की जाती है और यहाँ समाज या समुदाय अधिक महत्वपूर्ण है. पर्चिमी देशों में गेहूं की पैदावार ही की जाती है और यहाँ के लोग समाज से कट कर एकाकी जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं.