देश भर में पानी पर जिंदा रहने वाली जातियां रोटी रोटी को मोहताज हो रही हैं। इन जातियों में एक को मछुआ रैकवार समाज के रुप में जाना जाता है। इनकी सांगठनिक चेतना भी इस तरह से विकसित नहीं हुई है कि वे देश स्तर पर अपने हालात के खिलाफ लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तामल कर सकें। लिहाजा देश के विभिन्न हिस्सों में गाहे बेगाहे इनके बीच से आवाज सुनाई पड़ती है।

मध्य प्रदेश का सागर पानी के संकटों से जुझने वाले एक इलाके के रुप में जाना जाता है। लेकिन पानी के संकट का यह विमर्श केवल पानी का इस्तेमाल करने वाली आबादी से जुड़ा होता है।उन जातियों की समस्याओं से अवगत नहीं कराता है जिसमें पानी के सहारे अपनी रोजी रोटी कमाने वाली जातियों के हालात की तस्वीर दिखती हो। सागर मछुआ रैकवार समाज ने सरकार को बताया है कि वह रोटी रोटी को मुहताज हो गई है । म.प्र. शासन द्वारा मछुआ समाज के लिए जो सुविधाये देने की घोषणाएं की गई वह अभी तक मछुआ समाज को नहीं मिली है।

पूरे सागर जिले में मछुआ समुदाय के हाथ से तालाब, नदी घाट तक छिन गए है जबकि यह वंशागत मछुआ समाज का है। उसे वापिस दिलाए जाने की मांग की जा रही हैं। सागर तालाब में मछुआ संघ द्वारा 10 लाख रू का बीज मछली पालन हेतु छोडा गया था। लेकिन नगर निगम द्वारा तालाब का पानी निकालने के कारण पूरा बीज मर गया जो बाकी बचा है वह पानी में बह गया। मछुआ समाज की रोटी रोटी उसी से चलती थी मगर आज उसके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है। समाज के पास एक तालाब ही था जिससे रोजगार चलता था । पानी निकलने के कारण वह भी खत्म हो गया। राष्ट्रीय मछुआ कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री गोवर्धन रैकवार ने एक ज्ञापन देकर मांग की है कि शासन तत्काल उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए। या जब तक रोजगार नहीं मिलता है तब तक समाज के लिए हर सदस्य को 25 हजार रूपये दिये जावे। जिससे वे अपने बच्चों का पढ़ने के लिए संस्थाऩों में दाखिला करवा सकें। कापी किताबें लें सके और पानी लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नारा है कि सब पढ़े और सब बढ़े। यह नारा खोखला न रह जाए और मछुआ समाज की अगली पीढ़ी पढाई से वंचित न रह जाएं। सागर जिला शहर अध्यक्ष रेखा चैधरी ने कहा है कि रैकवार मछुआ समाज की जो समस्यायें है उनका शीघ्र निराकरण नहीं किया गया तो कांग्रेस इसका खुलकर विरोध करेगी और आंदोलन के लिए बाध्य होगी।