ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ एजुकेशनल साइकोलॉजी के नवीनतम अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हरे-भरे माहौल में रहने वाले बच्चे ज्यादा ध्यान केन्द्रित करने में सक्षम होते हैं और जल्दी सीखते हैं. ऐसे बच्चे अध्ययन में, विशेष तौर पर गणित में, उन बच्चों से तेज होते हैं जो हरे-भरे वातावरण में नहीं रहते. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लन्दन की ईरिनी फ्लोरी की अगुवाई में किये गए इस अध्ययन में 11 वर्ष की उम्र के 4768 बच्चों को शामिल किया गया था जो ब्रिटेन के शहरी क्षेत्रों से थे.

अनेक बार हमारे अनुभव का कोई महत्व नहीं होता, जबतक हम उसका प्रमाण न प्रस्तुत करें. हम सबका अनुभव बताता है कि हरियाली के बीच जाकर हम तनावमुक्त हो जाते हैं, पर अब अनेक वैज्ञानिक अध्ययन भी उपलबद्ध हैं जिनसे इन अनुभवों की पुष्टि की जा सकती है.

जर्नल साइकोसोमेटिक मेडिसिन के 18 मई के अंक में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार हरा- भरा परिवेश, साफ़ हवा और साफ़ सुथरे स्कूल के माहौल में बच्चों को तनाव कम रहता है. यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ओग कैलिफ़ोर्निया के डेनिएल रुबिनोव ने किया है. तनाव का आकलन कोर्टिसोल की मात्रा से जांचा गया. कोर्टिसोल एक हारमोन होता है, जो तनाव के समय अधिक उत्सर्जित होता है. यदि शारीर में इसकी मात्रा कम है तब इसका मतलब है आदमी तनाव में नहीं है. इस अध्ययन के समय हरे भरे माहौल वाले 32 बच्चों में कोर्टिसोल की मात्रा 45 परसेंटाइल थी, जबकि बिना हरियाली वाले माहौल के 133 बच्चों में इसकी मात्रा 75 परसेंटाइल तक पहुँच गयी थी. कोर्टिसोल की कम मात्रा कम तनाव का सूचक है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सटर के डॉ डेनिएल कॉक्स ने 270 लोगों के अध्ययन के बाद बताया कि हरा भरा माहौल अवसाद, तनाव, चिंता से मुक्त करता है और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है. इन 270 लोगों में हरेक आयु वर्ग के लोग सम्मिलित थे. यह अध्ययन जर्नल बायोसाइंस के 18 अगस्त के अंक में प्रकाशित हुआ है.

तनाव और अवसाद को हम बीमारी जैसा नहीं मानते, पर ये अनेक गंभीर रोगों के कारक हैं. तनाव से कोर्टिसोल नामक हार्मोन अधिक उत्पन्न होता है, और इससे उच्च रक्तचाप, अधिक ब्लड सुगर, पीठ का दर्द, हड्डियों का कमजोर होना, मोटापा, नींद न आना, व्यर्थ की चिंता और कमजोरी और थकान होता है. ये सभी गंभीर बीमारियन हैं और शहरों की एक बड़ी आबादी इनकी चपेट में है.

कुछ अध्ययन बताते हैं कि हरियाली से पुरुषों की अपेक्षा महिलायें अधिक तनावमुक्त होती हैं. अप्रैल 2018 में 95000 लोगों पर कराये गए अध्ययन से पता चलता है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलायें हरियाली से अधिक तनावमुक्त होती हैं. इसी तरह 60 वर्ष से कम आयु के लोग और बिना हरियाली वाले क्षेत्रो के लोगों पर भी हरियाली का अधिक प्रभाव पड़ता है. इस अध्यययन को यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ़ हांगकांग ने संयुक्त तौर पर किया था और इसमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के 95000 व्यक्ति शामिल किये गए थे. इस अध्ययन का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह भी था कि मानसिक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का रोग 5 प्रतिशत तक कम केवल हरियाली से हो जाता है. वर्ष 2012 के दौरान भी इंग्लैंड और नीदरलैंड में किये गए अध्ययन से स्पष्ट हुआ था कि महिलायें हरियाली के बीच तनावमुक्त रहती हैं.

हरियाली केवल शहर को सुन्दर ही नहीं बनाती और वायु प्रदूषण से बचाती है, पर इसका लोगों के स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है. इसे शहरी और ग्रामीण नियोजकों को विकास के इस दौर में समझना पड़ेगा. पर, वास्तविकता यह है कि शहरों में हरियाली लगातार घटती जा रही है, और जनसँख्या के साथ कंक्रीट वाला विकास भी बढ़ रहा है. जाहिर है बीमारियाँ भी बढ़ रहीं हैं. इन अध्ययनों से इतना तो स्पष्ट है कि हरा-भरा माहौल स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है, पर क्या हमारे शहरी और ग्रामीण नियोजक इस पर कभी ध्यान देंगे.