ग्रीनपीस और एयर विसुअल की हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी है और गुरुग्राम (गुडगाँव) दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. इस रिपोर्ट में हमारे देश में वायु प्रदूषण के बारे में जो कुछ भी कहा गया है, उससे हम भारतवासी पहले से ही परिचित हैं. हम सभी यहाँ के प्रदूषण और प्रदूषण नियंत्रण के सरकारी नाकारापन से वाकिफ हैं. बस, इंतज़ार कीजिये कि कोई इसे ग्रीनपीस द्वारा भारत को बदनाम करने की साजिश बतायेगा तो कोई इसे विदेशी रिपोर्ट बताकर उसे खारिज कर रहा होगा. और अंत में, स्थिति वही रहेगी जो आज है.

रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के कुल 3000 शहरों के वायु प्रदूषण के स्तर का अध्ययन करने के बाद यह पता चलता है कि इनमें से 64 प्रतिशत शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों का पालन नहीं कर पाते. अध्ययन के दौरान मध्य पूर्व और अफ्रीका के जितने शहरों का अध्ययन किया गया, उनमें से सभी शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से अधिक था. जबकि दक्षिण एशिया में 99 प्रतिशत शहरों और पूर्वी एशिया में 89 प्रतिशत शहरों में प्रदूषण मानकों से अधिक था.

सबसे प्रदूषित 30 शहरों में से 22 शहर भारत के हैं, दूसरी तरफ वायु प्रदूषण का पर्याय रहे चीन के मात्र 5 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित 30 शहरों में शामिल हैं. अब तो भारत सरकार एवं देश के पर्यावरण से संबंधित नीति – निर्धारकों को छोड़कर पूरा विश्व वायु प्रदूषण का पर्याय भारत को मानता है. हालत यहाँ तक पहुँच गयी है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण को एक विशेषण जैसा प्रयोग किया जाने लगा है. हाल में एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन का शीर्षक था, जलपोतों के डेक पर वायु प्रदूषण का स्तर दिल्ली से भी अधिक रहता है. दूसरे अध्ययन का शीर्षक था, घरों के अन्दर प्रदूषण का स्तर दिल्ली से अधिक.

पर सरकार अपनी आत्मप्रशंसा में विभोर रहती है और जैसे गंगा साफ़ करने का डंका पीटती है वैसे ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के दावे भी करती है. पर्यावरण मंत्रालय ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण मंत्रालय के बड़े अधिकारियों को महीनों तक दिल्ली की सडकों पर प्रदूषण के स्त्रोतों पर निगरानी के लिए भेजा. हजारों चालान काटे गए, पर प्रदूषण कम नहीं हुआ. पर्यावरण मंत्री ने देश के 102 शहरों में, जहां प्रदूषण अधिक रहता है, के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम भी तामझाम के साथ शुरू किया. पर इस प्रोग्राम के शुरू होते होते तक ऐसे शहरों की संख्या बढ़कर 241 तक पहुँच गयी.

सबसे प्रदूषित 5 शहरों में से 4, 10 में से 7 और 20 में से 15 शहर भारत के हैं. इस सूची के शुरू में तो ऐसा लगता है जैसे नेशल कैपिटल रीजन के शहरों की सूची को देख रहे हों. सबसे प्रदूषित 10 शहरों के नाम हैं – गुरुग्राम, गाजियाबाद, फैसलाबाद (पाकिस्तान), फरीदाबाद, भिवाड़ी, नॉएडा, पटना, होटन (चीन), लखनऊ और लाहौर (पाकिस्तान). यह रिपोर्ट वर्ष 2018 के दौरान पीएम2.5 के वार्षिक औसत के आधार पर तैयार की गयी है. सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि विश्व के सबसे प्रदूषित 25 शहरों में से 20 शहर भारत के हैं. और ये शहर जिन राज्यों में स्थित है उनमे से 18 शहरों के राज्यों ने भाजपा का शासन देखा है. केवल दिल्ली और कोलकाता इसके अपवाद हैं.

इन 25 सबसे प्रदूषित शहरीं में से पाकिस्तान के 2, चीन के 2 और बांग्लादेश का 1 शहर है. दिल्ली का स्थान सबसे प्रदूषित शहरों में ग्यारहवां है, पर किसी देश की राजधानी के सन्दर्भ में यह पहले स्थान पर है. अब तक चीन के जिस बीजिंग शहर को वायु प्रदूषण का पर्याय माना जाता था, वह इस सूची में 122वें स्थान पर है. ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर येब सानो के अनुसार वायु प्रदूषण विश्व की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है पर इसकी हमेशा उपेक्षा की जाती है. वायु प्रदूषण से केवल हमारा स्वास्थ्य, रोजगार और जीवन ही प्रभावित नहीं होता पर इससे हमारा भविष्य भी प्रभावित होता है.