उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्र में सर्वाधिक ऊंचाई वाली जगहों को अपना वास स्थल बनाने वाले स्तनधारी 'हिमालयन पिका' का अस्तित्व मौसम में हो रहे बदलाव के कारण खतरे में है।

हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला सबसे छोटे आकार का यह स्तनधारी केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य में 3000 से 5000 मीटर तक की ऊंचाई वाले विभिन्न क्षेत्रों और विशेष रुप से तुंगनाथ,रुद्रनाथ तथा केदारनाथ क्षेत्र में अक्सर दिखायी देता है।

सीमांत चमोली जिले में वेदिनी बुग्याल के अलावा कुमाऊं मण्डल के ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों तथा पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी तहसील के कहलिया क्षेत्र में भी हिमालयन पिका को सामान्य तौर पर देखा गया है।

इसे गढ़वाल की स्थानीय भाषा में रुंडा के नाम से जाना जाता है।

वन विभाग की अनुसंधान शाखा के एक अध्ययन के अनुसार 'तापमान में वृद्धि होने की दशा में हिमालयन पिका के विलुप्त होने की प्रबल संभावना है'।

संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तर पश्चिमी भाग में जलवायु परिवर्तन के कारण इसी तरह की एक समकक्ष प्रजाति लगभग विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है।

वन संरक्षक अनुसंधान वृत,उत्तराखण्ड संजीव चतुर्वेदी ने द सिटीजन को बताया कि यह स्तनधारी ठंडी जलवायु में होने वाली एलपाइन C-3 वनस्पतियों को अपना आहार बनाकर ही जीवित रहता है। एक अनुमान के मुताबिक यह वनस्पतियां यदि जलवायु परिवर्तन और तापमान में हो रही निरंतर वृद्धि के कारण विलुप्त हो जाती हैं तो प्राय: गर्म स्थानों पर होने वाली C-4 प्रजाति उनका स्थान ले लेंगी और उस दशा में हिमालयन पिका के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रजाति पर्वत की चोटियों के निकट वास करती है और जलवायु परिवर्तन की एक महत्वपूर्ण सूचक है।